जीवन - मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि, आत्मा का अविभाज्य रूप है।
जीवन (चैतन्य) और शरीर (जड़) के संयुक्त रूप में मानव है।
(चैतन्य) जीवन अमर है, यही दृष्टा, कर्ता, भोगता है। जबकि शरीर मरण धर्मा है।
चैतन्य-जीवन ही मानव रूप में मानव परम्परा में 122 आचरण में अभिव्यक्ति, संप्रेषित, प्रकाशित होता है।
इसे मानव संचेतना कहते हैं।
इसे मानव संचेतना कहते हैं।
जीवन में मन (64), वृत्ति (36) , चित्त (16), बुद्धि (4), आत्मा (2) = 122 क्रिया/आचरण हैं।
जीवन क्रियाओं में से
चित्त में होने वाली 16 क्रियाओं को समझने के लिए मैंने अध्ययन के लिए चार्ट बनाये हैं ये आपके लिए अध्ययन में उपयोगी हो सकते हैं।
चित्त में होने वाली 16 क्रियाओं को समझने के लिए मैंने अध्ययन के लिए चार्ट बनाये हैं ये आपके लिए अध्ययन में उपयोगी हो सकते हैं।
(स्रोत: मानव संचेतनावादी मनोविज्ञान
प्रतिपादक - श्रद्धेय ए नागराज, अमरकंटक)
प्रतिपादक - श्रद्धेय ए नागराज, अमरकंटक)
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