Sunday, November 3, 2019

-अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद) परिभाषा संहिता -- उ - ऊ


अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद)  ए नागराज - अमरकंटक

परिभाषा संहिता                                          
उचित              - मानवीयता एवं अतिमानवीयता के पोषण, संरक्षण, उन्नति के लिए उपादेयी आचरण, व्यवहार, कार्य।
उच्चकोटि   - गुणात्मक विकास संपन्न अथवा गुणवत्ता संपन्न।
उच्चारण           - उत्सवपूर्वक सार्थक वचनों का प्रकाशन।
उज्जवल           - स्वभाव गति सहज वैभव।
उत्कंठा             - गुणात्मक परिवर्तन के लिए मानव में तीव्र इच्छा।
उत्कृष्ट              - उत्थान के लिए श्रेष्ठ, अनिवार्य एवं आवश्यक प्रक्रिया ।  - मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य चेतना पूर्वक जीना।
उत्तरदायित्व - संस्कृति सभ्यता पूर्वक व्यवस्था के प्रति निष्ठा।
उत्थान             - निर्भ्रमता की ओर गति। समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व क्रम में गति।   - मानवीयता एवं अतिमानवीयतापूर्ण जीवन शैली की उपलब्धि। विकास की
                        ओर गतिशील एवं गति प्रदायन क्रिया ।
उत्कंठापूर्वक    - गुणात्मक विकास के तीव्र इच्छा सहित प्रवृत्ति और कार्य।
उत्तरार्द्ध           - फल परिणाम में परिपक्वता।
उत्पन्न              - संयोग से उदय होना। बीज धरती में पानी उजाला उष्मा उर्वरक पाकर वृक्ष के रूप में उदय होना। मनुष्य के शरीर का गर्भाशय में रचित होना। मिट्‌टी और
                        उसके सहायक द्रव्यों से घर-द्वार की रचना करना  - धातुओं से यंत्र रचना करना।
उत्पादन          - प्राकृतिक ऐश्वर्य पर श्रम नियोजन पूर्वक उपयोगिता मूल्य और कला मूल्यों की स्थापना सहित रचित वस्तु।  - प्राकृतिक ऐश्वर्य पर श्रम नियोजन पूर्वक
            उपयोगिता व कला मूल्यों की स्थापना सहित सामान्य आकांक्षा और महत्वाकांक्षा के रूप में वस्तुओं के रूप प्रदान करने की क्रिया । - मनुष्येार प्रकृति पर
            उपयोगिता एवं सुन्दरता की स्थापना किया जाना। - उपयोगिता मूल्य एवं उत्थान की दिशा में तन
, मन व प्राकृतिक ऐश्वर्य में किया गया गुणात्मक परिवर्तन।
उत्पादन कार्य - उपयोगिता सुन्दरता के लिए श्रम नियोजन।
उत्पादन भेंट - आहार, आवास, अलंकार, दूरगमन, दूरश्रवण, दूरदर्शन संबंधी वस्तु व उपकरण।
उत्पादन विधि- निपुणता, कुशलता, पांडित्य सहज कार्य प्रणाली।
उत्पादन सुलभता -   आवश्यकता से अधिक उत्पादन होना।
उत्पीडि़त         - उत्थान के मार्ग में रुकावट, शोषण।
उत्प्रेरित           - उत्थान के लिए प्रेरणाओं को स्वीकारना।
उत्सव              - उत्थान के लिए हर्षोल्लास पूर्वक प्रवर्तनशीलता का प्रमाण।
उत्सवित          - उन्नति के लिए उन्मुख।
उत्साह             - उत्थान के लिए साहसिकता पूर्वक धैर्यपूर्वक विधिवत्‌ प्रवृत्ति।
उद्‌भववादी  - सृजनशीलता, उत्थान प्रवृति, उत्साह प्रवृति सहित संवाद।
                        - सृजनशीलता, उत्पादन के लिए परस्पर संवाद।
उदय    - परस्पर समुख होने की घटना क्रिया।  - उत्थान की ओर गति परस्परता में प्रकटन, विकास क्रम विकास जागृति क्रम जागृति व निरंतरता।
                        - अनुभव से अधिक अनुमान, संभावना का विशाल होना।
उदयशील        - बारंबार प्रगटन होने वाली कार्यप्रणाली।
उदात्तीकरण    - पदार्थावस्था से प्राणावस्था, प्राणावस्था से जीवावस्था, जीवावस्था से ज्ञानावस्था के रूपों एवं शरीरों की प्रगटन क्रिया और ज्ञानावस्था में दृष्टापद में जागृति का
            प्रमाण।
उदान               - वायु विरोध सहज संज्ञा इसे मनुष्य शरीर में बलकारी उपयोग के रूप में पहचाना जाता है।
उदारचित्त       - बैर विहीन चिंतन, नियति क्रम चिंतन।
उदारता           - तन, मन, धन रूपी अर्थ का उपयोग, सदुपयोग प्रयोजनशीलता के अर्थ में नियोजित करना।  - स्व प्रसन्नता पूर्वक दूसरों की आवश्यकतानुसार तन, मन, धन  रूपी अर्थ का अर्पण समर्पण क्रिया ।  - प्राप्त सुख सुविधाओं का, दूसरों के लिए सदुपयोग करना।
उदितोदित   - सर्वशुभ नित्यशुभ सहज निरंतरता।
उद्विग्नता          - उत्थान के लिए आतुरता।
उद्‌गमन          - स्रोत के रूप में स्पष्ट पहचान।
उद्‌गमित         - स्रोत का प्रगटन।
उद्‌गार            - उत्थान के लिए, सर्वशुभ के लिए प्रकाशित भाषा सहित मानसिकता व प्रमाण।
उद्‌घाटन         - स्पष्ट प्रमाण सहज सर्वजनों के समुख प्रस्तुत प्रमाण।
उद्‌घाटित        - लोकमानस में सर्वशुभ स्वीकृत।
उद्देश्य              - मानव में जागृति और दृष्टस्न पद प्रतिष्ठा।
उद्देश्यपूर्ण        - लक्ष्य परम अथवा परम लक्ष्य, मानव लक्ष्य  -  समाधान समृद्धि अभय सहअस्तित्व।
उद्धार              - भ्रम बंधन से मुक्ति।
                        - आशा विचार इच्छा बंधन से मुक्ति, जागृतिपूर्ण मानसिकता से सम्पन्न।
उद्यमिता         - उत्पादन कार्य में संलग्न, सृजन शीलता।
उद्यत               - प्रयत्नशील।
उद्यमशील       - उत्पादन एवं सेवा कार्य में प्रयत्न।
उन्नतावकाश  - परम लक्ष्य तक संभावना।
उन्नति              - उत्थान की ओर गति, समाधान समृद्धि की ओर गति क्रिया ।
                        - आर्थिक सामाजिक राज्य व्यवस्था सहज सार्वभौमिकता में भागीदारी।
उन्नतशील  - उन्नति की ओर गुणात्मक परिवर्तन।
उन्नतोन्नत        - उन्नतिपूर्ण परम्परा।
उन्माद             - आवेशित गति, मानसिकता, कार्यकलाप।
उन्मादत्रय       - लाभोन्माद, भोगोन्माद, कामोन्माद से समस्या त्रासदी।
उन्मादत्रय शिक्षा - लाभोन्मादी अर्थशास्त्र, भोगोन्मादी समाज शास्त्र और कामोन्मादी मनोविज्ञान का प्रवर्तन क्रिया कलाप।
उन्नयन             - उत्थान की कीर्तिमानता अथवा प्रकाशन।
उन्मेष              - उन्नति एवं विशालता के प्रति दृष्टिस्न्पात।
उन्मुख             - उन्नति की ओर दिशा निश्चयन।
उन्मूलन           - जड़ मूल से समाप्त करना, गलती, अपराध को बदलना, सुधार कर लेना।
उपकार            - उन्नति और जागृति के लिए किया गया कर्तव्य।
                        - करने, होने के लिए उपाय और सेवा, उपाय पूर्वक की गई कृतियाँ।
उपकारात्मक  स्वरूप   -   समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व प्रमाण अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी।
उपकृत             - प्राप्त उपकार का स्वीकृतपरिणाम सहित प्रस्तुति।
उपज               - धरती में अनाज, औषधि, फल, ड्डूञ्लों का उत्पादन।
उपदेश             - अनुभवमूलक सूत्र और आदेश।
उपद्रव             - उन्नति, प्रगति, जागृति, व्यवस्था और विश्वास विरोधी।
उपभोग           - उपाय पूर्वक आस्वादन, ग्रहण क्रिया  में गतित होना।
उपभोक्तावादी          - भोगवादी प्रवृति  -  संग्रह सुविधावादी प्रवृति और कार्य।
उपयोग            - शरीर संरक्षण पोषण समाज गति में प्रयुक्ति ।   - मूल्यानुभूति व उत्पादन के लिए प्रयुक्त नियोजन।
उपयोगी          - आवश्यकता एवं विकास के लिए योजित एवं नियोजित करने योग्य वस्तु।
उपयोग            -  भेद   - उपयोग में वरीयता भेद।
उपयोगिता  - आहार, आवास, अलंकार, व दूरश्रवण, दूरगमन, दूरदर्शन संबंधी कार्य योग्य।
उपयोगिता मूल्य -   उपयोगिता के आधार पर मूल्यांन क्रिया ।
उपयोग विधि   - परिवार सहज आवश्यकता में उपयोग करना और व्यवस्था सहज आवश्यकता में उपयोग करना।
उपयुक्त            - उत्थान के लिए उपयोगी।
उपरस             - निश्चित रसों के लिए यौगिक क्रिया  के लिए प्राप्त वस्तुएं।
उपरांत            - किसी कार्य पूर्ति के अनंतर।
उपराम            - किसी कार्य को करने के पश्चात्‌ पुनः वैसा ही कार्य नहीं करना।
उपरामिता      - अनावश्यकता की समीक्षा।
उपलब्धि         - जिस प्राप्ति के अनंतर उसकी निरंतरता की अपेक्षा। - उपाय में, से, के लिए की गई प्राप्ति।
उपार्जन           - उत्पादन के लिए उपायपूर्वक स्थापित किया श्रम नियोजनपूर्वक उपयोगिता व कला मूल्य का स्थापना उत्पादन प्रमाण।
उपार्जित          - उत्थान के लिए समृद्धि के लिए किया गया उत्पादन समृद्धि सहज अनुभव के लिए प्राप्त तादात उत्पादन अनुपात।
उपादान          - किसी उत्पादन के लिए सहायक द्रव्य और वस्तु।
उपादेयता        - उपयोगिता और पूरकता योग्य।  - मूल्य अभिव्यक्ति और अनुभूति।
उपादेयी          - पूरक उपयोगी।  - उत्थान के लिए सहायक सिद्ध होना।
उपाय              - विविध उपक्रम  से उत्पादन अथवा उत्थान प्रमाणित होना।  - उन्नति के लिए उपयुक्त पद्धति।
उपासना          - उपायों सहित लक्ष्य पूर्ति के लिए किया गया क्रिया कलाप।  - इष्ट सान्निध्य के लिए किये गये उपाय।
उपेक्षणीय   - जो घटना अनुकरणीय नहीं है।
उपेक्षा              - वांछित का अवमूल्यन, निर्मूल्यन।
उपेक्षित           - अवमूल्यन क्रिया ।
उभय  - परस्परता में निश्चित आचरण।
उभय तृप्ति  - परस्परता में समाधान।
उभय परिवार- परिवारों में परस्परता।
उभय पक्षीय - परस्परता में अपेक्षाएं।
उभय प्रकार - परस्परता में मौलिकता।
उभय विकृति- परस्परता में विरोध।  - परस्परता के परिणाम में प्रतिक्रान्ति जो हस या अवमूल्यन क्रिया  है।
उभय सान्निध्य   - परस्परता में समीपता।
उभय सुकृति   - परस्परता में उत्थान और जागृति योग्य कार्यकलाप में सहमति। - क्रांति, गुणात्मक परिवर्तन जो विकास, उदात्तीकरण और संक्रमण है ।
उमंग    - अंग-प्रत्यंगों में उत्साह का प्रकाशन।
उर्मि                 - उत्सव, उत्साह, वीरता, उदारता का प्रमाण।
उमीदवारी      - निश्चित अपेक्षा उद्देश्य सहित इंतजार।
उल्कापात        - ब्रह्मास्नंडीय किरणों के सहयोग से वातावरणीय अणुएं अधिकाधिक तप्त एकत्रित होना और धरती को छूना।
उल्लास            - मुखरण। उत्थान की ओर उन्मुक्त प्रस्तुति या गति।  - उत्थान की ओर त्वरित गति।
उर्वरा               - बीज पाकर अनेक बीज तैयार करने वाली वस्तु संयोग अथवा ऐसी क्षमता पूर्ण मिट्‌टी।
उर्वरक             - धरती को अधिक उपजाऊ बनाने वाले द्रव्य।
उष्ण    - स्वाभाविक सामान्य ताप से अधिक होना।
उष्मा  - सामान्य ताप से बहुत अधिक होने के उपरांत परावर्तित होना।

उँचाई              - धरती के समानान्तर रेखा के 900 में।
ऊर्जामयता  - व्यापक वस्तु सहज पारदर्शी पारगामी में सपृक्त संपूर्ण इकाईयाँ।
ऊर्जास्रोत        - मूलतः ऊर्जा साम्य रूप में प्राप्त व्यापक वस्तु होते हुए प्रत्येक इकाई में क्रिया शीलता प्रमाणित। क्रिया शीलता ही श्रम गति परिणाम के रूप में स्पष्ट है।
                        इनमें से गति सहज विधि से उसका प्रभाव क्षेत्र होता है यह मानव को ज्ञात है। इस प्रभाव क्षेत्र को भी अथवा प्रभाव प्रवाह को भी कार्य ऊर्जा और ऊर्जास्रोत
                        माना व जाना जाता है।
ऊर्जित             - क्रिया शील स्वभाव गति संपन्न।
ऊर्ध्व  - धरती के समानान्तर रेखा के 900 पर होने वाली दिशा।
ऊर्जा  - सत्ता (निरपेक्ष शक्ति)। - प्रत्येक इकाई में, से, के लिए सदा साम्य रूप में प्राप्त मध्यस्थ सत्ता।- सपूर्ण क्रिया  में, से, के लिए प्राप्त नित्य साम्य गति दबाव
                        विहीन प्रभाव
, वैभव और वर्तमान।- अस्तित्व पूर्ण नित्य साम्य वैभव।- प्रत्येक इकाई की स्थिति, गति में नियंत्रण और वैभव।- प्रत्येक इकाई में प्रकाशन बल।
                        - प्रत्येक इकाई में पूर्णता का साम्य स्रोत।  - प्रत्येक इकाई में पूर्णता पर्यन्त विकास। सभावना स्रोत और अवकाश।
ऊहा                 - अनुमान।                                                                  


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