Sunday, November 3, 2019

अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद) परिभाषा संहिता - ऋ-ए-ऐ-ओ-औ

अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद)  ए नागराज - अमरकंटक                                                                                                                   परिभाषा संहिता                                                        अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद) परिभाषा संहिता - ऋ-ए-ऐ-ओ-औ                                                   
ऋणाकर्षण  - स्थिरता अधिक, अपने वातावरण में जितने भी वस्तुएं होती हैं उन्हें आकर्षित करने का बल।
ऋतंभरा          - सत्य सहज वैभव की अभिव्यक्ति करने की संपूर्ण पृष्ठभूमि।
                        - पूर्ण अधिकार।
ऋतुक्रम           - वर्षा, शीत और ग्रीष्मकालीन धरती के साथ पूरकता विधि, ऋतु संतुलन, धरती पर चारों अवस्थाएं उपयोगिता पूरकता सहित वैभवित रहने योग्य अनुपातीय
                        प्रवृत्ति।
ऋतुमान          - ग्रीष्म ऋतु में उष्मा का तापमान, वर्षा ऋतु में वर्षा का अनुपात या आंकलन, शीत ऋतु में शीत का निश्चित आंकलन।

                                                                                                                              
एक                  - सभी ओर से सीमित पदार्थ पिण्ड, छोटा  -  बड़ा रचना  -  ग्रह गोल धरती।
एकता              - रूप सहज गुण सहज स्वभाव सहज धर्म सहज  -  अस्तित्व परम्परा का होना।
एकत्व              - समान रूप गुण स्वभाव धर्म के आधार पर।
एकदेशीय        - किसी एक देश में होने वाले खनिज वनस्पति अथवा जीव।
एकरूपता       - आकार आयतन घन में समानता।
एक सूत्रता  - गुण स्वभाव धर्म समानता।  - विकास के क्रम में संलग्नता।
एक सूत्रात्मक - गुण समानता स्वभाव समानता धर्म समानता की परस्पर पहचान और प्रभाव।
एकात्मता       - अनुभव मूलक प्रमाण में व्यवहार व प्रयोग में एकता।
एकोदर            - एक ही माँ के पेट से प्रगट हुए संतान।
एषणात्रय        - पुत्रेषणा, वित्तेषणा, लोकेषणा।
एषणा             - सर्वशुभ के अर्थ में इच्छाओं का प्रकटन।
एषणाजित      - एषणा त्रय से प्रभाव विहीनता, साथ ही उन पर नियन्त्रण पाना।
एषणान्वेषण - ऐषणा त्रय व उसकी सुलभता की अपेक्षा में किया गया क्रिया कलाप।

 

ऐक्य    - समान रूप, गुण, स्वभाव, धर्म सहज अनेक एक रूप में प्रकाशित रहना।  - जिस योग के अनंतर विलगीकरण न हो। - सजातीय इकाइयों का मिलन, सह  -  
            अस्तित्व।
ऐच्छिक निराकर्षण - स्वेच्छा से भ्रमकारी मानसिकता व क्रिया कलाप से निरर्थकता की अस्वीकृति तथा यथार्थता की स्वीकृति।
ऐश्वर्यमयी       - दृष्टापद और जागृति का प्रमाण।
ऐश्वर्य  - अनवरत जागृतिपूर्ण स्थिति।

ओझिल            - देखने को नहीं मिलना, समझ में नहीं आना, मूल्यांकन नहीं कर पाना।
ओतप्रोत          - संपूर्ण प्रकृति सत्ता में ओतप्रोत, जीवन जागृति पूर्वक जागृति में ओतप्रोत।

औचित्य           - अनुकरणीय, अनुसरणीय, उपयोगी पूरक।
औषधि            - शरीर के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी और रोग निवारण योग्य द्रव्य।

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