अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद) ए नागराज - अमरकंटक परिभाषा संहिता अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद) परिभाषा संहिता - ऋ-ए-ऐ-ओ-औ
ऋ
ऋणाकर्षण - स्थिरता अधिक, अपने वातावरण में जितने भी
वस्तुएं होती हैं उन्हें आकर्षित करने का बल।
ऋतंभरा -
सत्य सहज वैभव की अभिव्यक्ति करने की संपूर्ण पृष्ठभूमि।
- पूर्ण अधिकार।
ऋतुक्रम -
वर्षा, शीत और ग्रीष्मकालीन धरती के साथ पूरकता विधि, ऋतु संतुलन, धरती
पर चारों अवस्थाएं उपयोगिता पूरकता सहित वैभवित रहने योग्य अनुपातीय
प्रवृत्ति।
प्रवृत्ति।
ऋतुमान -
ग्रीष्म ऋतु में उष्मा का तापमान,
वर्षा ऋतु में वर्षा का अनुपात या आंकलन, शीत ऋतु
में शीत का निश्चित आंकलन।
ए
एक -
सभी ओर से सीमित पदार्थ पिण्ड,
छोटा - बड़ा रचना - ग्रह
गोल धरती।
एकता -
रूप सहज गुण सहज स्वभाव सहज धर्म सहज - अस्तित्व परम्परा का होना।
एकत्व -
समान रूप गुण स्वभाव धर्म के आधार पर।
एकदेशीय - किसी
एक देश में होने वाले खनिज वनस्पति अथवा जीव।
एकरूपता - आकार
आयतन घन में समानता।
एक सूत्रता
- गुण स्वभाव धर्म समानता।
- विकास के क्रम में संलग्नता।
एक सूत्रात्मक - गुण
समानता स्वभाव समानता धर्म समानता की परस्पर पहचान और प्रभाव।
एकात्मता - अनुभव
मूलक प्रमाण में व्यवहार व प्रयोग में एकता।
एकोदर -
एक ही माँ के पेट से प्रगट हुए संतान।
एषणात्रय - पुत्रेषणा, वित्तेषणा, लोकेषणा।
एषणा -
सर्वशुभ के अर्थ में इच्छाओं का प्रकटन।
एषणाजित - एषणा
त्रय से प्रभाव विहीनता,
साथ ही उन पर नियन्त्रण पाना।
एषणान्वेषण - ऐषणा
त्रय व उसकी सुलभता की अपेक्षा में किया गया क्रिया कलाप।
ऐ
ऐक्य - समान रूप, गुण, स्वभाव, धर्म
सहज अनेक एक रूप में प्रकाशित रहना। - जिस
योग के अनंतर विलगीकरण न हो। - सजातीय इकाइयों का मिलन, सह -
अस्तित्व।
ऐच्छिक निराकर्षण -
स्वेच्छा से भ्रमकारी मानसिकता व क्रिया कलाप से निरर्थकता की अस्वीकृति तथा
यथार्थता की स्वीकृति।
ऐश्वर्यमयी - दृष्टापद
और जागृति का प्रमाण।
ऐश्वर्य - अनवरत
जागृतिपूर्ण स्थिति।
ओ
ओझिल -
देखने को नहीं मिलना,
समझ में नहीं आना,
मूल्यांकन नहीं कर पाना।
ओतप्रोत -
संपूर्ण प्रकृति सत्ता में ओतप्रोत,
जीवन जागृति पूर्वक जागृति में ओतप्रोत।
औ
औचित्य -
अनुकरणीय, अनुसरणीय, उपयोगी पूरक।
औषधि -
शरीर के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी और रोग निवारण योग्य द्रव्य।
No comments:
Post a Comment