अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद) परिभाषा संहिता - आ आंकलन -
निरीक्षण, परीक्षण व सर्वेक्षण पूर्वक कैसा कितना का स्पष्टीकरण व चित्रण।
आंशिक -
अल्प, अधूरा।
आंशिक क्रिया - अल्प
रूप में किया गया क्रिया प्रक्रिया ।
आकांक्षा -
आवश्यकता व उपयोगिता सहज कामनायें। - आतुरता
पूर्वक देखने, समझने, करने व पाने की तीव्र इच्छा।
आकस्मिक - अप्रत्याशित फल परिणाम घटना प्रदूषण।
आकर्षण -
ध्यान देने की आवश्यकता। - परस्पर मिलन
में दूरी का ऋञ्णीकरण क्रिया (मिलन में
दूरी का घटना)।
आकार -
निश्चित अवधि में स्थिर रचना।
आकाश -
धरती का वातावरण।
आकाशगंगा - अगनित
अथवा बहु संख्यक ग्रह गोल व्यूह - ग्रह गोलों का समूह।
आकुल -
शीघ्रतावादी मानसिकता। - वांछित के अभाव
की पीड़ा।
आकृति -
निर्दिष्ट सीमा में छवि या रचना। - क्रिया-प्रक्रिया
पूर्वक अनेक अणुओं के,
परमाणु के संगठित रूप। साथ ही अनेक अंशों से संगठित परमाणु।
आक्रोश -
आवेशित मानसिकता सहित किया गया कार्य व्यवहार।
आक्रमण -
आवेशित गति पूर्वक दूसरे के अस्तित्व व स्वत्व को मिटाने के लिए प्रयुक्त
हस्तक्षेप क्रिया ।
आगम रूप
- सोचना,
अग्रिम सोच।
आग्रह -
विधि विहित पद्धति,
प्रणाली नीतियों की ओर ध्यानाकर्षण विधि अस्तित्व में विकास
क्रम विकास जागृति क्रम जागृति सहज निरंतरता।
आख्यान
- अलंकार
सहित, संदर्भ समेत वांग्मय प्रस्तुति।
आचरण -
मौलिकता की अभिव्यक्ति,
'त्व'
सहित व्यवस्था सहज प्रकाशन। - मानवीयता पूर्ण कार्य विन्यास - मूल्य
चरित्र नैतिकता सहज प्रकटन।
-
दया पूर्ण पद्धति से किया गया स्व - धन,
स्वनारी,
स्वपुरुष सबन्ध परम्परा। - त्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में
भागीदारी।
आचरण पूर्णता - दिव्य
मानव प्रतिष्ठा - दिव्य मानवीयता। - जीवन
मुक्ति (भ्रम मुक्त जीवन) सजगता,
कैवल्य,
गन्तव्य,
विकास का चरमोत्कर्ष।
- गति का गंतव्य = गुणात्मक विकास
का परम बिंदु, सत्य, धर्म,
निर्भयता,
न्याय,
नियम,
जीवन तृप्ति और उसकी निरंतरता।
आचरण भेद - चारों अवस्था में त्व सहित व्यवस्था। त्व=आचरण।
आचरणात्मक - प्रमाण
रूप में आचरण।
आचार -
गुणात्मक परिवर्तन क्रिया अर्थात्
मानवत्व सहित आचरण यथा मूल्य,
चरित्र,
नैतिकता सम्पन्न आचरण।
आचार संहिता - जागृत
मानव सहज आचरण का सूत्र व्याख्या आलेख संविधान।
आचरित -
जागृत मानव द्वारा किया गया आचरण - आचरण परम्परा।
- मानवीयता सहज प्रमाण।
आचरित भक्ति - भय मुक्त
आचरण, उपकार प्रवृत्ति सहित किया गया संपूर्ण कार्य व्यवहार, परिवार
व्यवस्था में भागीदारी समग्र व्यवस्था में भागीदारी का प्रमाण।
आचार्य -
जागृति सहज पारंगत व्यक्ति,
दृष्टापद जागृति प्रमाण प्रतिष्ठा सम्पन्न मानव।
आजीविका - स्वावलंबन, समाधान सहित समृद्धि
पूर्वक आवश्यकता से अधिक वस्तुओं के साथ जीना।
आज्ञा पालन - जागृत मानव परम्परा में,
से,
के लिए संतानों का पाँच वर्ष के आयु से दस वर्ष तक अनुसरण
सहयोग प्रवृत्ति सहज दृष्टि - आज्ञापालन।
आतंक - प्राण भय,
मानभय,
धनभय,
पदभय से पीड़ा।
आतंकवाद - भयकारी प्रक्रिया व्यवहार/वार्ता।
आत्मक्षोभ - भ्रमित
मानव जीवन, अनुभव प्रमाण विहीन जीवन।
आत्मदर्शन - सहअस्तित्व में अनुभव सम्पन्न जागृत, पारंगत, वर्तमान
में प्रमाणित मानव।
आत्मपुंज - जीवन
जीने के आशानुरूप स्थापित कार्य गति पथ,
जीवन कार्य के आधार पर प्रमाण।
आत्मबोध - अनुभव
बोध प्रमाणित होना ही आत्मबोध।
आत्मविमुख - भ्रमित
मानव जो अनुभव बोध पूर्वक जागृति सहज विधि से किया गया क्रिया कलाप से विमुख।
आत्मसंतोष - अनुभव मूलक अभिव्यक्ति। - अनुभव मूलक विधि से बुद्धि, चित्त, वृत्ति,
मन संतुष्ट होने से है।
- अनुभव मूलक विधि से जीवन
ज्ञान अस्तित्व दर्शन मानवीयतापूर्ण आचरण सहित अखण्ड समाज और समग्र व्यवस्था में
भागीदारी करना।
आत्मा -
गठनपूर्ण परमाणु में कार्यरत मध्यांश । -
चैतन्य परमाणु के केन्द्र में संपन्न मध्यस्थ क्रिया । भार मुक्ति।
-
जीवन या जागृत जीवन में सत्यानुभूति - सत्यानुभव,
मूल्यानुभव।
आदर्श -
आवश्यकतानुसार सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व परम सत्य का लोकव्यापीकरण करना । व्यवस्था
में जीने देना जीना है। - मानवत्व सहित ''व्यवस्था'', समग्र
व्यवस्था में भागीदारी। - अनुभव अथवा अनुभव मूलक
प्रवर्तन कारी ''व्यवस्था''
का अनुभवमूलक अथवा अनुभव गामी, आचरण, कार्य, व्यवहार, विचार।
आदर्शवाद - रहस्यमयता से सुखी होने का आश्वासन। - रहस्यमयता में कल्याण की परिकल्पना।
आदाय -
लेना।
आद्यान्त -
भौतिक रासायनिक रचना विरचना एवं मानव परम्परा में कार्य व्यवहार फल परिणाम।
आद्यान्त प्रमाण - विकासक्रम, विकास
जागृति, दिव्यपद, विधि सहज प्रमाण।
आधार -
पदार्थ, प्राण, जीव, ज्ञानावस्था प्रकट होने के लिए यह धरती। ज्ञानावस्था में देवत्व, दिव्यत्व।
-ज्ञान विवेक व विज्ञान सहज प्रमाण का आधार मानव परम्परा
में, से, के लिए है। - आश्रित के लिए अनन्य रूपी महत्ता।
में, से, के लिए है। - आश्रित के लिए अनन्य रूपी महत्ता।
आनंद -
सहअस्तित्व में अनुभव। - सहअस्तित्व में
अनुभूति, फलस्वरूप सत्यानुभूत इकाई के बुद्धि पर होने वाला आप्लावन प्रभाव।
-
अनुभव की अभिव्यक्ति,
संप्रेषण क्रिया अर्थात् प्रमाण और प्रामाणिकता की अभिव्यक्ति
संप्रेषण क्रिया ।
आनंदमय कोष - अनुभव - बोध बुद्धि में होना, विज्ञानमय
कोष सम्मत। - सुख, शांति, संतोष
एवं आनंद को प्रकट करने की क्रिया ।
आनुषंगिक - क्रमागत रूप से एक दूसरे से जुड़ी हुई।
आनुषंगिक रूप - हर रचना मूल परस्परता पूरकता उपयोगिता से संतुलन।
आपूर्तिकरण - पोषण
नियोजन संरक्षण क्रिया ।
आप्त कामना - मानवीयता एवं अतिमानवीयता पूर्ण जीवनीय क्रम में, से, के लिए
तीव्र इच्छा।
आप्त पुरुष - ज्ञान, विवेक, विज्ञान
सहज सत्य बोध कराने वाला।
आप्तवचन - सत्य बोध होने योग्य वाक्य।
आप्लावन - निर्भ्रमता
एवं अनुभूति का प्रभाव जो बुद्धि पर होता है।
आप्लावित - सत्य
बोध होने का प्रभाव,
सभी जीवन क्रिया यें प्रभावित होना। - सत्य बोध कराना।
आबंटन -
वस्तुओं के साथ विनिमय,
ज्ञानार्जन।
आबालवृद्ध - बचपन
से बुढ़ापे तक परम्परा वैभव।
आभास -
सत्य सहज होने का सामान्य स्वीकृति।
आमंत्रण -
आवश्यकतानुसार लोक स्वीकार होना।
आयतन -
विस्तार में रचना। - विस्तार की सीमा।
आयाम -
अविभाज्य रूप में रूप गुण स्वभाव धर्म प्रमाण।
आयुष्मान - दीर्घायु
कामना।
आरंभ -
समाधान, समृद्धिपूर्वक प्रमाणित होने का शुरुआत।
आराधना - जागृति
सहज लक्ष्य पूर्ति के लिए किया गया प्रयोग।
आरोग्य -
स्वस्थ शरीर।
आरोप -
भ्रमात्मक मूल्यांकन।
आलोक -
प्रकाश प्रभावन क्रिया । - सर्वत्र,
सर्वदा ज्ञानमयता।
आवर्तन -
दोहराने वाली क्रिया । - क्रिया (श्रम,
गति परिणाम) परम्परा।
- यथास्थिति,
उपयोगिता पूरकता सहज परम्परा।
-
पदार्थावस्था-परिणामानुषंगी। प्राणावस्था-बीजानुषंगी। जीवावस्था-वंशानुषंगी। ज्ञानावस्था-संस्कारानुषंगीय
परम्परा में आवर्तनशील हैं ।
-
ऋण धनात्मक गुण स्वभाव प्रकाशन सीमा गतिपथ।
आवर्तनशील - पदार्थावस्था
से प्राणावस्था,
प्राणावस्था से पदार्थावस्था आवर्तनशील।
आवर्तनशीलता - जागृत
मानव ही पदार्थ,
प्राण और जीवावस्था के साथ उपयोगिता पूरकता सहज प्रमाण।
- अन्य तीनों अवस्थाएं अपने
- अपने यथास्थिति में उपयोगी अग्रिम अवस्था के लिए
पूरक होना ही आवर्तनशीलता है।
आवर्तनशील विधि - ज्ञान,
विवेक,
विज्ञान,
जागृत मानव परम्परा सहज कार्य व्यवहार फल परिणाम ज्ञान सम्मत
होना आवर्तनशीलता।
- मानवीयतापूर्ण आचरण संगत
कार्य व्यवहार।
आवर्तित -
धरती सूर्य के सभी ओर आवर्तित है।
- परमाणु में मध्यांश के
सभी ओर परिवेशों में कार्यरत सभी अंश आवर्तित रहते हैं। इसी के साथ प्रत्येक अंश
अपने घूर्णन गति में रहते हैं इसे भी आवर्तन
संज्ञा है और धरती भी अपने घूर्णन गति सहित आवर्तनशील है।
संज्ञा है और धरती भी अपने घूर्णन गति सहित आवर्तनशील है।
आवश्यक -
मानवीयता और अति मानवीयता की ओर प्रगति।
आवश्यकता - हर
इकाई का अपने अस्तित्व को बनाए रखना एक आवश्यकता है और हर इकाई अपने त्व सहित
व्यवस्था और समग्र व्यवस्था में भागीदारी करना एक
आवश्यकता। मानव परम्परा में आर्थिक सामाजिक व्यवस्था तंत्र और प्राकृतिक संतुलन सहज आवश्यकता।
आवश्यकता। मानव परम्परा में आर्थिक सामाजिक व्यवस्था तंत्र और प्राकृतिक संतुलन सहज आवश्यकता।
- जीवन जागृति रूपी लक्ष्य के
प्रति संभावना सहित आशवस्त होना और उसके लिए तीव्र इच्छा सहित निष्ठा का होना।
(सामान्य व महत्वाकांक्षी वस्तुओं का
उपयोगिता, सदुपयोगिता के आधार पर आवश्यकता से अधिक उत्पादन।)
उपयोगिता, सदुपयोगिता के आधार पर आवश्यकता से अधिक उत्पादन।)
आवश्यकतावादी - मानव परम्परा
में ही वादी व कारी होना पाया जाता है और इसी क्रम में आवश्यकता की पहचान, सीमा
निर्धारण, उपयोग, सदुपयोग, प्रयोजनशीलता
ध्रुवीकरण होने के अर्थ में आवश्यकतावाद।
ध्रुवीकरण होने के अर्थ में आवश्यकतावाद।
आवश्यकीय नियम - प्राकृतिक
नियम। - बौद्धिक नियम। - सामाजिक नियम। - सामाजिक नियम अखण्ड समाज के अर्थ में।
- प्राकृतिक नियम ऋतु
संतुलन के अर्थ में। - बौद्धिक नियम मनः
स्वस्थता को प्रमाणित करने के अर्थ में सार्थक है।
आवास -
आवश्यकतानुसार शरीर संरक्षण के अर्थ में रचित रचना।
आदेश -
प्रयोजनशीलता सहज अभिव्यक्ति,
संप्रेषणा,
व्यवस्था में भागीदारी के अर्थ में। - निश्चित कर्म प्रक्रिया
व समाधान संप्रेषणा। - आग्रह पूर्वक
ज्ञापन।
आदेशजन्य - आदेश का पालन और फल परिणाम सकारात्मक होना
(मानवत्व के अर्थ में)।
आवेशित -
भ्रमित होना।
आवेश -
भ्रमित कार्य व्यवहार प्रवृत्ति। - हस्तक्षेप, ह्रास की ओर गति। - अतिक्रमण
या आक्रमण की प्रतिक्रिया में प्राप्त
गति।
आवेदित -
गुणात्मक परिवर्तन की अपेक्षा में शोध किया गया सूत्र व्याख्या अनुसंधान विधि से।
आविष्कार - परम्परा में अपेक्षित अप्रचलित को प्रमाण
सहित प्रचलित करना।
- अप्रचलित अथवा अज्ञात उपलब्धि
को या सत्यता को सुलभ करना।
- मानव पंरपरा में, से, के लिए
अज्ञात को ज्ञात एवं अप्राप्त को प्राप्त करने में योगदान क्रिया ।
आशय -
मानव में मानसिकता,
प्राणावस्था में प्राणाशय एवं पदार्थावस्था में अन्नाशय और
व्यापक वस्तु में प्रेरित रहने की आशय,
जीवावस्था में जीने की आशा ही
आशय है। भ्रमित मानव में विषयासिタत में आशय जागृत मानव में समाधान, समृद्धि पूर्वक उपकार करने का आशय। - निरंतर रूप में सुख की अपेक्षा।
आशय है। भ्रमित मानव में विषयासिタत में आशय जागृत मानव में समाधान, समृद्धि पूर्वक उपकार करने का आशय। - निरंतर रूप में सुख की अपेक्षा।
- मूल्यों का भास एवं आभास, स्वागत
व आस्वादन।
आशय रसादि तंत्र विधि - रस
तंत्र से मांस तंत्र,
मांस तंत्र से मज्जा तंत्र, रस मांस मज्जा तंत्र से
अस्थि (हड्डी),
स्नायु (नस - नाड़ी) और रタत तंत्र व वसा तंत्र ।
इन सात तंत्र विधि से अन्नाशय पタवाशय प्राणाशय रसाशय मूत्राशय मलाशय गर्भाशय।
इन सात तंत्र विधि से अन्नाशय पタवाशय प्राणाशय रसाशय मूत्राशय मलाशय गर्भाशय।
आशा -
जीवावस्था में जीने की आशा,
ज्ञानावस्था में सुख आशा के रूप में। - सुखापेक्षा सहित, आस्वादन
और चयन क्रिया । - आशय पूर्वक की गई क्रिया ।
- चैतन्य इकाई की अंतिम
परिवेशीय (चतुर्थ परिवेशीय) अक्षय जीवन शक्ति का वैभव।
आशा धर्म
- जीवावस्था
में जीने की आशा - आशाधर्म,
इसी के साथ अस्त्वि पुष्टि समाहित। ज्ञानावस्था में
सुखपूर्वक जीने की आशा।
आशा बंधन - मानव में,
से,
के लिए चैतन्य इकाई में (गठनपूर्ण परमाणु में) भारबंधन, अणुबंधन
से मुक्ति भ्रमित मानव में आशा,
विचार,
इच्छा बंधन सहित जीने की आशा
एवं शरीर को जीवन मानकर जीना।
एवं शरीर को जीवन मानकर जीना।
आशावादी - मानव
भ्रमित रहते हुए भी सहज सुख के लिए आशावादी।
आशित -
मानव परम्परा में समाधान समृद्धि अभय सहअस्तित्व प्रमाण।
आशित विनिमय - लाभ
हानि मुक्त विनिमय विधि। - उपयोगिता मूल्य के आधार पर वस्तु मूल्य का निर्धारण
श्रम नियोजन के आधार पर वस्तुओं में उपयोगिता मूल्य
को प्रकट करना और इसका मूल्यांकन होना।
को प्रकट करना और इसका मूल्यांकन होना।
आर्शीवचन - मानव परम्परा में शुभकामनाएं, सार्थक
सफल प्रमाणित होने के लिए उच्चारण किया शब्द अथवा वाक्य।
आशीर्वाद - शुभ
के लिए सर्वशुभ के लिए निश्चित किया गया लक्ष्य प्रक्रिया और प्रयोजनों का कामना सहज शब्द संप्रेषणा।
आशीष -
शुभ कल्पना का उच्चारण।
आश्वस्त -
वर्तमान में विश्वास के आधार पर भविष्य में सफल होने के अर्थ में।
आश्वस्ति -
भविष्य में सफल होने के लिए आशावादी योजनात्मक सभाषण।
आश्वासन - भविष्य
में सफल होने के लिए दिया गया योजना कार्यक्रम।
आशित कामना - मानव में मानवीयता सहज समाधान,
समृद्धि,
अभय,
सहअस्तित्व सहज प्रमाण ।
आश्लिष्ट -
ढका हुआ अथवा डूबा हुआ,
सभी ओर से घिरा हुआ।
आश्रयभेद - विचारों
के आश्रय में योजना और कार्य संपादन।
आश्रम -
स्वीकृतियों को निष्ठापूर्वक निर्वाह करना।
आश्रितांश - परमाणु
के मध्यांश के सभी ओर कार्यरत परमाणु अंश।
आसव -
मीठा पदार्थ को सड़ाकर किया गया वाष्प संग्रह।
आसवीकरण - वाष्प
संग्रह क्रिया ।
आसक्ति -
लघु मूल्य को गुरु मूल्य मानना,
यही प्रलोभन। - चार विषयों में निमग्नता।
आसक्तिभेद - अतिभोग,
बहुभोग में विविधता।
आस्था -
समझे बिना समर्पित होना अथवा मान लेना।
आस्वादन - भ्रमवश संवेदनाओं का, जागृति
पूर्वक मूल्यों का। - आशा एवं रुचि सहित ग्रहण क्रिया ।
आस्वादन बल - मनोबल।
मूल्यों का आस्वादन बल।
आस्तिक -
होने का स्वीकार,
होने में निष्ठा,
स्वयं में विश्वास,
सह-अस्तित्व में निष्ठा।
आहार -
जागृत मानव के ग्रहण करने योग्य वस्तु सार। - पुष्टि हेतु ग्रहण करने योग्य तत्व।
आल्हाद -
उत्साह, सर्वशुभ कार्य प्रवृत्ति। - अनुभूति का बोध एवं चिंतन।
आहूत -
सम्पन्न किया गया।
आतुरता -
पात्रता से अधिक प्राप्ति की कामना एवं चेष्टा का प्रकटन।
आलस्य -
कार्य की उपादयेता को जानते हुए भी व्यवहार में ना होना।
आवेग -
आवश्यकतानुसार प्राप्त गति।
आसन्न -
अग्रिम संभावना का अविभाज्य रूप उपस्थित होना।
आश्रय -
जिससे, जिसका अस्तित्व या कार्य व्यवहार नियंत्रित है।
आत्म प्रतिष्ठा- आत्मा
संकेञ्तानुसार बुद्धि,
चित्त,
वृत्ति एवं मन के क्रिया कलाप।
आत्मदीपन - आत्मोन्मुखी बुद्धि, आत्मा के
संकेत ग्रहण योग्य क्षमता सम्पन्न बुद्धि।
आघात -
आवेश प्रदायी क्रिया ।
आन्दोलन - असंतुलित
गति एवं प्रक्रिया ।
आयोजन -
जागृति के अर्थ में आत्मीयता पूर्वक किया गया समेलन।
आत्मीयता - स्व
अस्तित्व की मौलिकता के अनुरूप,
अन्य की मौलिकता को स्वीकारना।
आमुष्मिक - जागृत
जीवन मरणोार स्थिति में भी जागृत सूत्र सम्पन्न रहता है।
आस्तिकता - सहअस्तित्व, विकास और जागृति में
विश्वास और निष्ठा।
आस्था -
अस्तित्व में स्थिरता का विश्वास।
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