अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद)
परिभाषा संहिता इ
इंगित -
स्पष्ट हुआ।
इन्द्रिय -
इच्छानुसार द्रवित संचालित होने वाला अंग - प्रत्यंग
ज्ञानेन्द्रिय कर्मेन्द्रिय।
इन्द्रिय सन्निकर्ष -
इन्द्रियों से इन्द्रियों या वस्तुओं का योग।
इन्द्रिय ज्ञान - संवेदनाओं का स्वीकार सहज प्रकाशन।
इन्द्रिय संवेदना - शब्द स्पर्श रूप,
रस,
गंधेन्द्रियों में संपादित होने वाली अथवा संपन्न होने वाली
क्रिया ।
इन्द्रिय सापेक्ष- संवेदनाओं
की अपेक्षा में।
इन्द्रियातीत - सुख,
शांति,
संतोष,
आनंद,
समाधान,
समृद्धि,
अभय,
सहअस्तित्व,
न्याय,
धर्म,
सत्य मूल्य,
मूल्यांकन।
इकाई -
छः ओर से सीमित रचना अथवा पदार्थ।
इच्छा -
विश्लेषणात्मक प्रकाशन - अपेक्षा सहित चित्रण क्रिया । - दर्शन एवं उसके
प्रकटन की संयुक्तचिंतन क्रिया ।
इच्छानुसार - विश्लेषण और अपेक्षा के अनुसार।
इच्छाबंधन - भ्रमित
इच्छाओं की अपेक्षा - समस्त क्लेश।
इच्छुक -
अपेक्षाओं का स्पष्टीकरण।
इति -
फल परिणाम संपन्नता।
इतिहास -
इंगित अपेक्षित फल परिणामों का काल निबंध परम्परा का आंकलन।
- विगत की कृतियों एवं
घटनाओं का श्रृंखलाबद्ध किया गया आंकलन।
इत्सित -
अपेक्षा सहित तीव्र इच्छा।
इष्ट -
भ्रम मुक्ति, सुख, शांति, संतोष, आनंद और समाधान समृद्धि अभय सहअस्तित्व सहज प्रमाण।
- पूर्णता (जीवन में
जागृतिपूर्वक पूर्णता यथा क्रिया पूर्णता,
आचरणपूर्णता तथा समृद्धि, अभय सुलभता)
इष्टानुवर्ती - अखण्डता
व सार्वभौम व्यवस्था क्रम में परिवर्तित कार्यरत और व्यवहार।
इष्टानुषंगी - सर्वशुभ
के नियमों के अनुसार।
ई
ईंधन - इच्छानुसार
पタव तपन भस्म और दहन गलन क्रिया संपन्न
होने के लिए प्रयुक्त वस्तु।
ईक्षण - सहअस्तित्व
में रूप गुण स्वभाव,
धर्म की पहचान।
- जीवन प्रकाश में दृश्य
स्पष्ट होने हेतु किया गया क्रिया कलाप।
ईश्वर - ऐश्वर्य
संपन्न सर्वत्र विद्यमान सर्व सुलभता की पहचान।
ईश्वरज्ञता - ईश्वर
ज्ञान अर्थात सह-अस्तित्व दर्शन ज्ञान संपन्न।
ईमानदारी - समझदारी
के अनुरूप निर्णय लेने की और प्रस्तुत होने करने की क्रिया प्रणाली।
ईर्ष्या - पदोन्नति
विरोधी मानसिकता,
द्वेष,
भ्रमित मानसिकता।
ईष्णात्रय - पुत्रेषणा
/ जनबल, वित्तेषणा / धनबल,
लोकेषणा / यश बल कामना।
ईप्सा - एषणा
के प्रति पिपासा।
ईप्सित -
इच्छा के अनुरूप प्राप्त,
प्राप्तियाँ।
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