Monday, August 17, 2020

गुरू की महिमा

 गुरू की महिमा
(परम पूज्य नागराज जी को समर्पित)

काव्य में शब्द संयोजन, 
सहअस्तित्व ज्ञान संबोधन,
मानवीय भाव नित्य प्रबोधन,
सब गुरु की महिमा जान ।1।

कृतज्ञता करें हम अर्पण, 
श्रद्धा सहित पूर्ण समर्पण, 
प्रेम-अनन्यता स्वयं में जान, 
गुरु की महिमा पहचान ।2।

धीर-वीर-गंभीर सदा रह, 
न्याय, विवेक ज्ञान प्रदान,
उदारता, दया, कृपापूर्वक 
दिया परमसत्य का ज्ञान ।3।

ऐषणा मुक्त दिव्यता युक्त,
स्वभाव है जिनका करुणा,
व्यक्त हुई जिनसे मानव की,
महिमा, गरिमा और पहचान ।4।

मन उत्साहित, वृत्ति उल्लासित,
चित्त अल्हादित, बुद्धि अप्लावित,
सहअस्तित्व में आत्म का दर्शन,
अनुभव परम आनंद प्रमाण ।5।

ऐसे गुरु का सानिध्य निरंतर,
सुख-शांति का स्रोत चिरंतर,
अखंडता, सार्वभौम प्रकाशन,
 स्वत्व, स्वतंत्रता की पहचान ।6।

सहअस्तित्व में प्रकृति दर्शन,
अखंड समाज मानव का दर्शन,
नियम, न्याय, धर्म, सत्य पूर्वक
सर्वतोमुखी समाधान पहचान ।7।

सार्वभौम व्यवस्था नित्य प्रमाण
गुरु की महिमा को जान......

सुरेन्द्र पाठक
(मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद के अध्येता)
17 अगस्त, 2020

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