समस्या-समाधान
समस्या
खुद घनचक्कर,
जान रे मक्कर,
भ्रम का चक्कर,
ज्ञान से फक्कर,
काम का भुक्कर,
लोभ से चुगकर,
मद का चक्कर,
रूप में फंसकर,
लोभ में धंसकर,
मोह में ठसकर
क्रोध में थककर,
मात्सर्य घनचक्कर,
न स्पर्धा न कोई दौड़,
भ्रम-अज्ञान-भय का दौर,
मानव की नहीं कोई ठौर।
समाधान
ज्ञान में पककर,
विवेक समझकर,
हाथ पकड़कर,
साथ में रहकर,
न्याय में जीकर,
सत्य को पीकर,
समाधान में रखकर,
धर्म में चलकर,
विश्वास में संभलकर,
प्रेम में डूबकर,
मानवीय होकर,
दिव्यता लक्ष्य कर,
ज्ञान में पककर,
विवेक समझकर,
हाथ पकड़कर,
साथ में रहकर,
न्याय में जीकर,
सत्य को पीकर,
समाधान में रखकर,
धर्म में चलकर,
विश्वास में संभलकर,
प्रेम में डूबकर,
मानवीय होकर,
दिव्यता लक्ष्य कर,
करले मानव अध्ययन और,
चेतना संक्रमण का यह दौर,
समाधान-समृद्धि जान ये ठौर।
*सुरेन्द्र पाठक*
*6 अगस्त, 2020*
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